Saturday 21 January 2012

कोहरे का दूसरा सच


अमूमन जाडे के मौसम मे  पहाडों पर हुई बर्फबारी के बाद  देह कंपाती सर्दियों मे मैदानी इलाकों मे आसमान से कोहरे का कहर बरसता है.  इसका  सबसे ज़्यादा खतरनाक और भयावह असर हाइवे  और महानगरों की सडकों पर दुर्घटना के रूप मे नज़र आता है. सफेद कोहरे की चादर मे लिपटी इन सडकों पर रफ्तार पकडती गाडियां मौत से आंख मिचौली का  दुस्साहसी खेल खेलती हैं, और फिर कब अचानक समाचारों की सुर्खियां बन जाती हैं , इन्हे पता नही चल पाता.
इसी कहर बरपाते कोहरे का एक दूसरा ही रूप मैने इन सडकों पर देखा , जब मै स्वयं दिल्ली की सडकों पर गाडी चलाते हुए बेहद घने सफेद कोहरे की जद मे पहुंच गया . कहां सडक है और कहां फुटपाथ समझ पाना बहुत मुश्किल था. चारों ओर घने सफेद कोहरे का समन्दर था . जिधर देखो उधर बस कोहरे की ही सफेदी थी.  विजिबिलिटी न के बराबर थी . आंखें चार-पांच फुट से ज़्यादा आगे कुछ भी नही देख पा रही थी. भरे उजाले मे खुली और स्वस्थ आंखों के रहते हुए  भी  आदमी कैसे अन्धों जैसा बन जाता है , यह कोहरे मे फंसे किसी गाडी के चालक से बेहतर और कोई  नही जान सकता . ऐसे मे सामने से आती गाडी की हैडलाइट या आगे चल रही गाडी की बैक लाइट और टिमटिमाते  ब्लिंकर्स की मद्धिम रोशनी चालक को आगे बढने की दिशा और राह दिखाती हैं.  जैसे किसी अन्धे को  लाठी का सहारा मिल गया हो ऐसा ही सहारा बनकर ये टिमटिमाते ब्लिंकर्स कोहरे  मे फंसे ड्राईवर के हौसले को बढाते हैं. दिल्ली की सडकों पर रेंगती हुई गाडियों के सामूहिक आत्मानुशासन का ऐसा अनूठा दृश्य सिर्फ घने कोहरे मे ही देखा जा सकता है. 

 कोहरा हमे कठिन परिस्थितियों में संयमित रहते हुए सावधानी पूर्वक आगे बढ़ना सिखाता है. यह   सामाजिक आत्मानुशासन के साथ साथ  ऋगवेद की ऋचा तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात अज्ञान  रूपी अन्धकार से ज्ञान  रूपी प्रकाश की ओर बढने  का बेहतरीन प्रयोग करना सिखाता है. वास्तव में जीवन की यात्रा मे हम कई  बार कभी व्यावहारिक, कभी सांसारिक तो कभी आध्यात्मिक अज्ञान  रूपी कोहरे मे कभी न कभी फंस ही जाते हैं.  जब  हमे कोई  मार्ग नही सूझता तब  ऐसे मे सत्संगति ,  सद्ग्रंथ और सदगुरु रूपी ज्ञान के प्रकाश पुंज का सहारा लेकर यदि अपनी-अपनी यात्रा मे आगे बढते हुए मंजिल पाने का प्रयास किया जाये तो क्या हर्ज़ है.  - भुवन चन्द्र तिवारी  

6 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  2. 'ब्लागर्स वरल्ड' में आपका स्वागत है. हर्ष हुआ - 'विचार प्रवाह' निकल पड़ा है , आशा है अनवरत गतिशील रहेगा.
    सुन्दर आलेख.- आभार

    क्रपया 'वर्ड वेरिफिकेसन' हटा दें.

    ReplyDelete
  3. प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

    ReplyDelete